लेखनी प्रतियोगिता -17-Dec-2021
अपना वतन
ये सच है के अपना जन्म जहाँ हुआ हो जहाँ हम खेल कूद कर बड़े हुए है चाहे कितने बड़े इंसान चाहे उम्र हो या ओहदा नहीं भूल पाते, हमारे परिवार में एक परिवार है जो हमारे दूर के रिश्तेदार है यकीन नहीं होता वो ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोग है मतलब कोई भी त्योहार जो भारत देश का है वो लोग ऐसे मानते है जितना उत्साह से हम भी ना मानते हो उनका ये लगाव देख साफ पता चलता है वो देश से दूर जाकर भी देश से जुड़े रहना चाहते हैं चाहे दूर सही पर देश को अपने दिल में जिंदा रखना चाहते है, उनकी बेटी जो काफी अच्छी नौकरी करती है किसी भी प्रोग्राम में अपनी अंग्रेज सहेलियों को हिन्दी गानों पर डांस सिखाती है साथ में करवाती है, वो लोग गुजरात भावनगर से है, पिता एक वैज्ञानिक हैं तो देश में उन्हें चुना गया था वहाँ के लिए तब बच्ची आठवीं में थी तो देश का काफी कल्चर सीख चुकी थी तो वो आज भी वो सब वहाँ धूमधाम से मानते है, आज भी हम सभी से सोशल मीडिया पर जुड़ी है ताकि नजदीकी का एहसास रहे। तो मुझे लगता है इंसान रोजगार की खातिर दूसरे देशों मैं जाता जरूर है पर अपने वतन को भुला पाना ये मुमकिन नहीं, एक साधारण उदाहरण देती हूँ क्या कोई भी बेटी अपना पीहर भुला पाती है नहीं ना तो फिर देश के साथ भी ऐसा ही जुड़ाव होता है मातृभूमि तो मातृभूमि ही है।ये सभी देश वासियों के लिये है जरूरी नहीं भारतीय ही प्रवासी हो।दूसरे देश के कई लोग आपको भारत में नजर आते होंगे, उनके साथ अपनापन रखिए पहले वो इंसान है बाद में प्रवासी। आपका ये अपनापन उनके लिए एक सहायता होगी देश को अपनाने में वो खुदको दूसरे देश का समझ हीन भावना से ग्रसित नहीं होंगे।
By-Rekha mishra
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Shrishti pandey
18-Dec-2021 09:11 AM
Nice one
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Seema Priyadarshini sahay
18-Dec-2021 01:02 AM
बहुत खूबसूरत
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Abhinav ji
18-Dec-2021 12:16 AM
Nice
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